The Department of Hindi is as old as the college which was established in 1989. It is a two member department. The first head of the department was Dr.(Mrs) M. K. Bhadari.The department is currently headed by Dr.(Mrs) M. K. Bhadari. The department offers a full majors program in the final year to the stream of students enrolled in the BA program which enhances their theoretical knowledge of the subject and equips them for further specialization in the field. It also increases their employability. The department has a record of a hundred percent passing at the University examinations .
हिन्दी पेपर नं. IV
P.E.O. –
- इस पाठ्क्रम का उद्देश्य विद्यार्थीयों को हिन्दी साहित्य के इतिहास का सम्पूर्ण ज्ञान कराना है ।
- आदिकाल, भक्तिकाल एवं रीतिकालीन साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों की जानकारी विद्यार्थीयों को देनी है ।
- आधुनिक काल की विविध पद्य एवं गद्य विधाओं का सामान्य परिचय विद्यार्थीयों को देना है ।
P.S.O. –
1) विद्यार्थीयों को हिन्दी साहित्य के काल विभाजन एवं नामकरण का परिचय कराना ।
2) हिन्दी साहित्य की आदिकालीन पृष्ठभूमि से अवगत करना।
3) आदिकालीन सिध्द, नाथ, जैन एवं रासो साहित्य का ज्ञान कराना।
4) भक्तिकालीन संतों के काव्य से विद्यार्थीयों को परिचित कराना।
5) प्रेमाख्यान काव्य का परिचय देना।
6) राम काव्य एवं कृष्ण काव्य का सामान्य परिचय देना।
7) रीतिकालीन काव्य से विद्यार्थीयों को लाभान्वित करना।
8) आधुनिक काल की हिन्दी साहित्य की पृष्ठभूमि का परिचय कराना।
9) छायावाद पूर्व काव्य का परिचय देना।
10) छायावादोत्तर काव्य की सामान्य जानकारी देना।
11) आधुनिक गद्य की प्रमुख विधाओं की जानकारी देना।
12) आधुनिक गद्य के विकास का परिचय देना।
C.O. –
- इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से उच्च शिक्षा विभाग में रोजगार की संभावनाएँ बढ़ती है।
- इसके अध्ययन से नये अविष्कार की संभावनाएँ बढ़ती है।
- अनुसंधान के द्वारा विद्यार्थी रोजगार पाने में सक्षम हो जाता है।
- तुलनात्मक अध्ययन को बढ़ावा मिलता है।
हिन्दी पेपर नं. V
P.E.O. –
- इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थीयों को स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं का परिचय कराना है।
- काव्य नाटक, रेखाचित्र एवं संस्मरण जैसी आधुनिक विधाओं का सामान्य ज्ञान विद्यार्थीयों को देना इस पाठ्यक्रम का मूल भाव है।
- गीति काव्य तथा निबंध जैसी आधुनिक विधाओं की जानकारी देना इस पाठ्यक्रम का हेतु है।
P.S.O. –
1) स्वातंत्र्योत्तर पद्य की नवीन विधाओं से विद्यार्थीयों का परिचय कराना।
2) स्वातंत्र्योत्तर गद्य की नवीन विधाओं की जानकारी प्रदान करना।
3) काव्य नाटक विधा का ज्ञान देना एवं उसका उद्देश्य समझना।
4) रेखाचित्र विधा की सामान्य जानकारी देना।
5) रेखाचित्र के स्वातंत्र्योत्तर स्वरुप को समझाना।
6) संस्मरण का सामान्य परिचय कराना।
7) संस्मरण के स्वातंत्र्योत्तर स्वरुप की सामान्य जानकारी देना।
8) गीतिकाव्य का सामान्य परिचय देना।
9) गीतिकाव्य के स्वातंत्र्योत्तरस्वरुप को समझना।
10) गीतिकाव्य का मानव जीवन में महत्त्व समझना।
11) निबंध के स्वरुप की सामान्य जानकारी देना।
12) स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी निबंध का परिचय कराना।
C.O. –
- इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से विद्यार्थीयों में स्त्री पुरुष समानता की भावना पैदा होती है।
- पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति विद्यार्थी जागृत होता है।
- राष्ट्र तथा भारतीय संस्कृति के प्रति विद्यार्थीयों के मन में सद्भवना पैदा होती है।
- गीत, निबंध, रेखाचित्र, संस्मरण, आदि लिखने की प्रेरणाविद्यार्थी को मिलती है।
हिन्दी पेपर नं. IX
P.E.O.
- 19वीं शताब्दी में भारत वर्ष में हुए नवजागरण आन्दोलनों के हिन्दी साहित्य पर हुए प्रभाव का परिचय विद्यार्थीयों को देना इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य है।
- गांधीवादी, मार्क्सवादी चिंतन एवं दलित तथा आदिवासी विमर्श की जानकारी विद्यार्थीयों को देना इसमें समाहित हैंI
- राष्ट्रीय चेतना एवं स्वातंत्र्योत्तर जन चेतना की अभिव्यक्ति में हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं के योगदान से विद्यार्थीयों को परिचित कराना इस पाठ्यक्रम का हेतु हैI
P.S.O. –
1) विद्यार्थीयों को नवजागरण आंदोलन की जानकारी देना ।
2) भारतीय नवजागरण आन्दोलन के हिन्दी साहित्य पर हुए प्रभाव को समझाना।
3) ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज, रामकृष्ण मिशन, सत्यशोधक समाज के कार्यों की विद्यार्थीयों को जानकारी देना।
4) आर्य समाज के स्वरुप एवं कार्यों का परिचय कराना।
5) गांधीवादी चिंतन का हिन्दी साहित्य पर हुआ प्रभाव विद्यार्थी को समझाना।
6) मार्क्सवाद के हिन्दी साहित्य पर हुए प्रभाव से विद्यार्थीयों को परिचित कराना।
7) राष्ट्रीय चेतना के विकास में पत्र-पत्रिकाओं की भूमिका को समझाना।
8) मनोविश्लेषणवाद के हिन्दी कथा साहित्य पर पड़े प्रभाव को समझाना।
9) दलित चेतना एवं आदिवासी चेतना का स्वरुप समझाना।
10) दलित चेतना के हिन्दी साहित्य पर हुए प्रभाव से विद्यार्थीयों को परिचित कराना।
11) समकालीन कथा साहित्य में हुयी आदिवासी विमर्श की अभिव्यक्ति की जानकारी देना।
12) हिन्दी पत्रकारिता मे हुयी स्वातंत्र्योत्तर जन चेतना की अभिव्यक्ति को समझाना।
C.O. –
1) समाज सुधारवादी आन्दोलनों का परिचय होने के साथ सामाजिक सरोकार की भावना अभ्यर्थी में जागृत होती है।
2) स्वतंत्रता, समानता और बन्धुत्व की भावना जाग जाती है।
3) पत्र-पत्रिकाओं के कार्य तथा उस क्षेत्र में जाने की भावना निर्माण हो जाती है।
4) दलित, आदिवासी वर्ग की समस्याओं पर अनुसंधान करने की इच्छा पैदा हो जाती है।
Faculty:
Professor Name | Designation | Profile |
Dr.Meena Bhandari | M.A .,M.Phil,Ph.D | Click Here For CV |
Dr. P. K. Dhumal | M.A., Ph.D., SET, NET | Click Here For CV |
Hindi Literacy association arrange many lectures,competitions for the students.competitions like essay writing ,advertisement have greater impact on the students.Students of Arts,Science and commerce participate in the activities.